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खेलकूद और संस्कृति।Sports and Culture

 खेलकूद और संस्कृति।Sports and Culture

खेल और संस्कृति का लोगों और स्थानों के लिए आन्तरिक महत्त्व है। वर्तमान समय में प्रत्येक राष्ट्र अपने खेल कौशल के द्वारा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान स्थापित करने का प्रयास करता है। मानव जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ होती हैं। लोग विभिन्न प्रकार की चिन्ताओं से घिरे रहते हैं खेल-कूद हमें इन परेशानियों, तनावों एवं चिन्ताओं से मुक्त कर देता है। खेलकूद को जीवन का आवश्यक अंग मानने वाले जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं।

खेलकूद, संस्कृति से सम्बन्धित पक्ष है। खेल के माध्यम से बालक के शारीरिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक विकास भी सम्भव है, क्योंकि बाल्यकाल और खेलों का गहरा सम्बन्ध है। बच्चे खेल के माध्यम से नई बातें सीखते हैं। खेल से उनका साहस और आत्म-विश्वास बढ़ता है। खेलों से उनका तन सुसंगठित होता है। दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए वह आपस में स्वस्थ प्रतियोगिता करना सीख जाते हैं। उनमें अनेक सांस्कृतिक गुण: जैसे- धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी, निष्ठा जैसे गुणों का विकास होता है। खेलो से मिली हार और जीत से वे नए-नए गुण व अनुभव प्राप्त करते हैं। भारत में क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, कबड्डी, पोलो, शतरंज, टेबिल टेनिस, लॉन टेनिस, बैडमिण्टन आदि खेल खेले जाते हैं। इनमें क्रिकेट सबसे लोकप्रिय है। खेल राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में बहुत सहायक होते हैं। खेल व्यक्तित्व के विकास में श्री सहायक होते हैं। इससे अनेक मानसिक क्रियाओं का विकास होता है। प्रत्येक देश की संस्कृति के साथ कुछ खेलों का सम्बन्ध हमेशा रहा है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। इसके अलावा भारत संस्कृति के साथ कबड्डी व कुश्ती जैसे खेलो का नाम भी जुड़ा है, जो भारत को अन्य देशों में भी सम्मान दिलाते हैं।

खेलकूद देश के युवाओं का प्रतीक है। इससे देश के लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। यह देश के नागरिकों को स्वस्थ व युवा रखते हैं, क्योंकि एक आलसपूर्ण और निष्क्रिय राष्ट्र कभी भी उन्नति नहीं करता है। अतः अपने राष्ट्र की उन्नति व राष्ट्रीय भावना के विकास में खेलों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह प्रत्येक देश की संस्कृति के भी प्रतीक होते हैं।

वर्तमान समय में खेलों की अवधारणा और भी वृहत हो गयी है क्योंकि अब खेलो को केवल सांस्कृतिक प्रक्रिया के रूप में ही स्वीकार नहीं किया जाता है बल्कि इसे आर्थिक संकल्पना से जोड़कर भी देखा जाने लगा है। खेलों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धाओं के माध्यम से विभिन्न देश मूल्यात्मक स्तर पर आयात के द्वारा आर्थिक संवृद्धि प्राप्त करते हैं। ओलम्पिक खेल, राष्ट्रमण्डल खेल, विश्वकप आदि के आयोजन कर्ता देश आयात के द्वारा मुद्रा की वृहत राशि प्राप्त करता है। अतः खेलकूद की क्रिया वर्तमान में एक सांस्कृतिक-आर्थिक गतिविधि के रूप में उभरी है।

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