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नागोया प्रोटोकॉल। Nagoya Protocol

 नागोया प्रोटोकॉल। Nagoya Protocol

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2010 को जैव विविधता के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष 2011-2020 के दशक को संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता दशक घोषित किया गया था। इस प्रोटोकॉल के सदस्यों को वर्ष 2020 तक ABS के प्रावधानों के संदर्भ में न्यूनतम मापदण्ड तय करना है तथा अपने जैव विविधता अधिनियमों को उनके अनुरूप बना लेना है ये Bio Piracy से संबंधित हैं।

उल्लेखनीय है कि नागोया प्रोटोकॉल के लागू होने के लिए सीबीडी के 50 पक्षकारों द्वारा अनुसमर्थन आवश्यक था। वर्ष 2014 में 50 पक्षकारों का अनुसमर्थन मिल जाने के पश्चात अब नागोया प्रोटोकॉल के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उरुग्वे 50वां देश है जिसने नागोया प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन किया है।

भारत अपने जेनेटिक संसाधनों और उनसे जुड़े पारंपरिक ज्ञान की चोरी का शिकार रहा हैं, जिन्हें अन्य देशों में पेटेंट करा लिया जाता है. (उदाहरणार्थ- नीम और हल्दी पर कराए गए पेटेंट) नागोया प्रोटोकॉल के लागू होने से इस समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। जैव संसाधनों की चोरी को रोकने के घरेलू प्रयास के रूप में भारत में

'जैव विविधता अधिनियम, 2002' लागू किया गया था। नागोया प्रोटोकॉल भारत के घरेलू प्रयासों के पूरक के रूप में कार्य करेगा।

2010 में एक 20 सूत्रीय योजना को अपनाया गया था जिसे सरकारों द्वारा पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर विलुप्त हो रही प्रजातियों और दुनिया भर के महत्वपूर्ण निवास स्थलों के नुकसान से निपटने में सहायता करने के लिए अगले 10 वर्षों में लागू किया जाना है। विश्व भर में जैव विविधता की बचाव योजना के हिस्से के रूप में, सरकारें विश्व में 17% भूमि को संरक्षित क्षेत्र के तौर पर बढ़ावा देने के लिए तथा 2020 तक हमारे महासागरों के 10% क्षेत्र को सागरी संरक्षित क्षेत्रों के रूप में कवर करने के लिए प्रयास करने पर सहमत हुई हैं।

आईची लक्ष्य (Aichi Targets): नागोया में CBD के दसवें सम्मलेन में 10 लक्ष्यों को स्वीकार किया गया, इन लक्ष्यों को आईची लक्ष्य कहा गया है। आईची उस प्रांत का नाम है, जिसमें नागोया स्थित है। प्रमुख आईची लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

1. विश्व के 17% भूभाग को आधिकारिक रूप से संरक्षित क्षेत्र घोषित करना। वर्ष 2010 में विश्व का 13% भूभाग संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत आता था।

2. विश्व के महासागरों तथा सागरों तथा तटवर्ती इलाकों के 10% क्षेत्र

को संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत लेकर आना। वर्ष 2010 में यह मात्र 1% था।

3. कम से कम 15% क्षतिग्रस्त परितंत्रों को पुर्नस्थापित करना। 4. वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय आय या सकल घरेलू उत्पाद के आकलन में जैव विविधता को हुई क्षति को भी शामिल करना। 

5. जैव विविधता के संरक्षण के लिए वित्तीय आवंटन में कम से कम 10% की वृद्धि करना ।

6. प्रवाल भित्तियों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास।

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