भारतीय वित्त आयोग क्या है?

 भारतीय वित्त आयोग (Finance Commission of India)

भारतीय वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। वित्त आयोग संवैधानिक व सांविधिक | (statutory body) निकाय है। यहां यह कहना आवश्यक है कि योजना आयोग या नीति आयोग सांविधिक नहीं है, इनको केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के अंतर्गत स्थापित किया गया था।

संविधान के मुताबिक, आयोग का गठन प्रत्येक पांच वर्षों के लिए होता है और इसमें एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य होते हैं। वित्त आयोग का गठन केंद्र एवं राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने के लिए किया गया था। इसलिए इसको केंद्र-राज्य संबंधों का महत्त्वपूर्ण पहलू माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि देश में कर लगाने का कार्य केंद्र तथा राज्य सरकारें दोनों करती हैं और दोनों के लिए कर लगाने व उनकी वसूली की प्रक्रिया / अधिकार क्षेत्र निश्चित है। केंद्र सरकार कुछ ऐसे कर लगाती व वसूलती है, जिनका विभाजन होता है, यानि उनका कुछ हिस्सा राज्यों को जाता है।

पहले वित्त आयोग का गठन 1951 में किया गया था जिसके अध्यक्ष के सी नेगी थे। उनकी योजना का संचालन 1952-57 के दौरान किया गया था। 14वें वित्त आयोग का गठन जनवरी 2013 में वाई वी रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया था। इसने दिसंबर 2014 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। इसकी सिफारिशें एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक हैं। इसको सहकारी संघवाद की दिशा में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

1. वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया। 10 फीसदी की बढ़ोतरी इससे पहले कभी नहीं हुई।

2. वित्त आयोग द्वारा योजनाओं में राज्यों को अधिक स्वायत्तता देना। 3. स्थानीय निकायों (local body governments) को अधिक संसाधन, आदि।


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