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ऑफिस और घर दोनों जगह अलग होता बीपी का स्तर, 30 की उम्र से रहें अलर्ट

ऑफिस और घर दोनों जगह अलग होता बीपी का स्तर, 30 की उम्र से रहें अलर्ट

किस उम्र के बाद से सावधानी रखें
डॉ. हेमंत चतुर्वेदी,हृदय रोग विशेषज्ञ, जयपुर

30 वर्ष की आयु के बाद अगर वजन ज्यादा है या परिवार में किसी को उच्च रक्तचाप हो तो 20 वर्ष आयु के बाद साल में कम से कम एक बार रक्तचाप की जांच डॉक्टरी परामर्श से करवाएं। साथ ही जीवनशैली में भी जरूरी बदलाव करें।

हाइपरटेंशन एक गंभीर बीमारी है जो एक साइलेंट किलर की तरह काम करती है। अधिकांश लोगों में इसके कोई खास लक्षण नहीं होते हैं। जब बीपी काफी बढ़ जाता है (नीचे वाला 100 से अधिक व ऊपर 180/100 mmHg) तो ही शरीर पर इसके दुष्प्रभाव दिखते हैं।

यूं समझें ब्लड प्रेशर को

एक सेहतमंद व्यक्ति के लिए बीपी, हृदय सिकुड़ने के समय 120 mmHg होता है और आराम की स्थिति में 80 mmHg होता है। सिस्टॉलिक बीपी (ऊपर का) 140 mmHg व डायस्टॉलिक बीपी (नीचे वाला) 90 mmHg या ऊपर हो जाता है, इसे हाइपरटेंशन कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का ब्लड प्रेशर प्रतिदिन और प्रति घंटे बदलता रहता है।

कब और कितना हो तो बीपी हाइ मानते हैं?

ऑफिस में ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg से ज्यादा होने पर इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है। वहीं, होम बीपी रिकॉर्डिंग में यह 135/85 mmHg से ज्यादा व एम्बुलेटरी बीपी मॉनिटरिंग में 130/80 mmHg से ज्यादा रीडिंग को हाइपरटेंशन कहा जाता है।

संभावित लक्षण

सिरदर्द, धुंधला दिखना, गर्दन में दर्द, चक्कर आना, शरीर में गर्मी का अहसास, जी घबराना, उल्टी आना, नकसीर, सांस फूलना, अनियमित धड़कन, गुर्दों पर दुष्प्रभाव आदि। लंबे समय तक यह समस्या रहने से खून की नलियां मोटी होने लगती हैं। उनमें कॉलेस्ट्रोल का जमाव बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ जाती है। दिमाग की नसों में रुकावट से ब्रेन हैमरेज-स्ट्रोक की भी आशंका रहती है।

1. वजन बढ़ने से बीपी बढ़ता है। सोते समय सांस में रुकावट होने से खर्राटे या स्लीप एप्निया संबंधी दिक्कत होती है। इससे भी बीपी बढ़ता है। वजन कम करने इनका जोखिम भी कम होता है।

2. सप्ताह में 5-6 दिन 30 से 45 मिनट का योग, व्यायाम या वॉक भी बीपी के 4 से 9 mmHg तक कम करता है। लेकिन इसे छोड़ने से समस्या भी फिर से आ जाती है। सबसे अच्छी कसरतों में तेज कदम चलना (30 मिनट में 2.5-3 किमी. तक), दौड़ लगाना या साइक्लिंग, तैराकी आदि।

3. खाने में ज्यादा से ज्यादा मोटे व छिलके वाले अनाज खाएं जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी आदि। रिफाइंड चीजें, अधिक तैलीय, जंक-फास्ट फूड और सोडा ड्रिंक्स आदि से भी 14 mmHg तब बीपी बढ़ जाता है।

4. नमक की मात्रा कम कर भी 2 से 8 mmHg तक बीपी नियंत्रित कर सकते हैं। सामान्य व्यक्ति प्रतिदिन 5 ग्राम तक और बीपी का रोगी 2 ग्राम तक नमक प्रतिदिन ले सकता है।

5. धूम्रपान व नशा, ब्लड प्रेशर को बढ़ा देते हैं। इन्हें तत्काल छोडे़ं।

6. लम्बे समय से चल रहा मानसिक अवसाद भी हाइ ब्लड प्रेशर का एक प्रमुख कारण है। इससे बचने के लिए योग-मेडिटेशन कर सकते हैं। तनाव घटाने वाले कारणों पर भी ध्यान दें। मनोरंजन भी बहुत जरूरी है।

7. घर पर नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर नापते रहें। अगर उपरोक्त जीवनशैली में बदलाव के बावजूद ब्लड प्रेशर कम नहीं होता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही डॉक्टरी सलाह से ही दवाइयां लें। मन से दवा की डोज नहीं बदलें।

50 से ज्यादा उम्र में ही नहीं, 18-40 के बीच भी हो सकता है हाइपरटेंशन।

कब बढ़ता है बीपी!

ज्यादा काम करने, भय, चिंता, शोक, क्रोध, व्यायाम इत्यादि अवस्था में रक्तचाप कुछ समय के लिए बढ़ जाता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सामान्य स्थिति में नियमित रूप से ज्यादा होता है, तब डॉक्टर उसे हाइपरटेंशन कहते हैं। 46% हाइपरटेंशन ग्रस्त लोगों को पता ही नहीं होता कि उनमें हाइ बीपी की समस्या है। एक अनुमान के मुताबिक, 50 वर्ष की आयु से पूर्व भी करीब 25 फीसदी पुरुषों और 16 फीसदी महिलाओं में हाइ बीपी की समस्या रहती है।

पुरुषों में इसके दुष्प्रभाव ज्यादा देखने को मिलते हैं। पुरुषों में हाइपरटेंशन का मुख्य कारण तनाव होना सामने आया।

व्हाइट कोट बीपी क्या है?

अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर के क्लिनिक या हॉस्पिटल में जाते ही लोगों का बीपी बढ़ जाता है। इसे व्हाइट कोट हाइपरटेंशन कहा जाता है। इसे होम बीपी रिकॉर्ड कर काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कब अलर्ट रहें

60 वर्ष से कम उम्र हो और हार्ट डिजीज हो या जिन्हें डायबिटीज हो, उनमें बीपी 130/80 एमएमएचजी या उससे कम रखना टारगेट होना चाहिए। 60 से ज्यादा उम्र में इसे 140/90 एमएमएचजी या उससे कम रखना चाहिए।


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