दुग्ध ग्रन्थियों एवं स्तनों की संरचना। STRUCTURE OF MAMMARY GLANDS AND BREASTS
पुरुषों तथा स्त्रियों में, वक्ष भाग में सामने की ओर उभरे दो रंगायुक्त चूचुक होते हैं। प्रत्येक चुचुक के चारों ओर का छोटा-सा क्षेत्र भी रंगायुक्त होता है। इसे स्तन-परिवेश (areola) कहते हैं। स्त्रियों में चूचुकों के चारों ओर का काफी भाग वसा के जमाव तथा पेशियों की प्रचुरता के कारण स्तनों (breasts) के रूप में फूला होता है। प्रत्येक स्तन में भीतर का ऊतक 15 से 20 पिण्डों (lobes) में बँटा होता है जिनके बीच-बीच में वसीय ऊतक भरा होता है (चित्र 19.13)। प्रत्येक पिण्ड कई छोटे पिण्डकों (lobules) में बँटा होता है। प्रत्येक पिण्डक में अंगूर के गुच्छों की भाँति की दुग्ध ग्रन्थियाँ होती हैं जिन्हें कूपिकाएँ अर्थात् एल्वियोलाइ (alveoli) कहते हैं। कूपिकाएँ पेशी तन्तुओं से घिरी होती हैं जिनके संकुचन के दबाव से इनसे दुग्ध मुक्त होता है। जब दुग्ध का स्रावण होता है तो यह पिण्डकों की कूपिकाओं से कुछ छोटी छोटी द्वितीयक नलिकाओं (secondary ductules) में बहता है। ये नलिकाएँ मिल-मिलकर प्रत्येक पिण्ड से निकलने वाली एक दुग्धवाहिनी (mammary duct) बनाती हैं (चित्र 19.13)। इस प्रकार, प्रत्येक स्तन में 15 से 20 दुग्धवाहिनियाँ होती हैं। ये चूचुक की ओर बढ़कर चूचुक के निकट फूल जाती हैं। फूले भागों को दुग्ध-कोटर (lactiferous sinuses) कहते हैं। प्रत्येक कोटर से एक छोटी-सी दुग्धनाल (lactiferous duct) निकलकर चूचुक के शिखर पर स्थित एक पृथक् छिद्र से बाहर खुलती है। बाहर खुलने से पहले कुछ निकटवर्ती दुग्धवाहिनियाँ, या दुग्ध-कोटर, या दुग्धनालें परस्पर जुड़ी हो सकती हैं। पुरुषों में दुग्ध ग्रन्थियाँ सक्रिय नहीं होतीं।