अपने लेख या पोस्ट को अपडेट करने के लिए सम्पर्क करे - 9415331761

कार्ल मार्क्स।Karl Marx

 कार्ल मार्क्स।Karl Marx

मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 को जर्मनी के राइन प्रान्त के ट्रीविज (Treves) नगर में हुआ था। मार्क्स की स्कूली शिक्षा ट्रीविज नगर में हुई। 1838 ई. में स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए बोन विश्वविद्यालय में प्रवेश किया। उन्होंने 1841 ई. में दर्शनशास्त्र से डॉक्टरी की डिग्री प्राप्त की। 1842 ई. में राइन समाचार-पत्र में लेखन का कार्य प्रारम्भ किया, परन्तु प्रशा सरकार के विरुद्ध कुछ लेख लिखने के कारण मार्क्स को यह समाचार पत्र छोड़ना पड़ा। मार्क्स की पत्नी का नाम जेनी था।

1847 ई. में ब्रसेत्ज में स्थापित कम्युनिस्ट लीग और क्षेत्रीय समिति के नेतृत्व की जिम्मेदारी मार्क्स को सौंपी गई। 1848 ई. में कम्युनिस्ट घोषणा-पत्र प्रकाशित हुआ। घोषणा पत्र के अन्त में कहा गया है "कम्युनिस्ट क्रान्ति के डर से शासक वर्ग को कांपने दो मजदूरों के पास खोने के लिए अपनी बेड़ियों के अतिरिक्त कुछ नहीं है, जीतने के लिए उनके पास सारी दुनिया है।" मार्क्स ने कहा, "क्रान्ति इतिहास का इंजन है।" बेल्जियम से भी मार्क्स को क्रान्तिकारी विचारों के कारण निष्कासित होना पड़ा। इस कारण उनके जीवन में अस्थिरता के साथ आर्थिक तंगी भी आ गई थी। 1850 ई. में मार्क्स के पुत्र की मृत्यु तथा 1852 ई. में पुत्री की मृत्यु हो गई थी।

1867 ई. में कार्ल मार्क्स की कृति 'दास कैपिटल' का प्रथम खण्ड जर्मन भाषा में प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने पूँजीवाद का बड़ा गम्भीर विश्लेषण किया है तथा इस मान्यता को बल देकर प्रतिपादित किया है कि मनुष्य के अस्तित्व को उसकी चेतना निर्धारित नहीं करती, बल्कि उसका सामाजिक अस्तित्व उसकी चेतना को निर्धारित करता है। कैपिटल के दो शेष खण्डों को एंगेल्स ने पूर्ण किया था। दिसम्बर, 1864 में लन्दन में प्रथम 'अन्तर्राष्ट्रीय वर्किंग एसोसिएशन' (पहला इण्टरनेशनल) हुआ। इसमें कई देशों के मजदूर नेताओं ने भाग लिया। इसमें मार्क्स ने भी भाग लिया जिसको जनरल काउंसिल में उन्हें पहले ही चुना गया था। इस संगठन में मार्क्स, इमाइल दुर्खीम की अराजकतावादी विग के संघर्ष में शामिल हुए थे। 1881 ई. में मार्क्स की पत्नी का निधन हो गया। बुढ़ापे, बीमारी और आर्थिक अभाव ने मार्क्स को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित किया। 14 मार्च, 1883 को उनका निधन हो गया।

मार्क्स के विचारों के स्रोत (Sources of Ideas of Marx )

 जर्मन विद्वानों का प्रभाव मार्क्स ने समाज के विकास के लिए हीगल की द्वन्द्वात्मक पद्धति को अपनाया। उन्होंने युवा हीगलवादी फायरबाख से भौतिकवाद का विचार लिया।

ब्रिटिश अर्थशास्त्रियों का चिन्तन मार्क्स ने ब्रिटिश अर्थशास्त्रियों एडम स्मिथ, रिकार्डों आदि से श्रम के मूल्य सिद्धान्त को अपनाया। इसी श्रम के मूल्य सिद्धान्त के आधार पर उन्होंने अधिशेष मूल्य का सिद्धान्त प्रस्तुत किया।

फ्रेंच समाजवादियों का चिन्तन फ्रांस में सेण्ट साइमन चार्ल्स फोरियर आदि चिन्तकों ने जिस समाजवाद का प्रतिपादन किया था, उसका स्वरूप यद्यपि काल्पनिक था, तथापि वह अपने चरित्र में क्रान्तिकारी था। उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व का सिद्धान्त श्रमिकों का उत्थान और उनका शोषण करने वाले वर्ग के विनाश का सिद्धान्त और वर्गविहीन समाज (जिसमें केवल सर्वहारा वर्ग हो) की स्थापना का विचार आदि मार्क्स ने फ्रांसीसी चिन्तन से ही ग्रहण किए थे।

सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ तत्कालीन पूँजीवाद समाज के शोषणवादी चरित्र ने भी मार्क्स को क्रान्तिकारी विचार प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। मैक्सी ने ठीक ही लिखा है, मार्क्स के चिन्तन के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण बात उसकी मौलिकता नहीं है वरन् उसकी समन्वयकारी शक्ति है।" उसने सामग्री को कई स्थानों से एकत्रित कर उसे एक सिद्धान्त का रूप दिया, जिससे सर्वहारा आन्दोलन के सिद्धान्त का निर्माण हुआ।

संक्षेप में, यह कहा जा सकता है मार्क्स ने चाहे ईंटों को बहुत-से स्थानों से एकत्र किया हो, परन्तु उसने साम्यवाद का जो विशाल भवन बनाया, वह सर्वथा मौलिक है। मार्क्स ने साम्यवाद को वैज्ञानिक रूप प्रदान किया, इसी कारण उसे 'वैज्ञानिक समाजवाद का जनक' कहा जाता है।

मार्क्स के कल्पनामूलक समाजवादी (Marx Imaginative Socialist)

कार्ल मार्क्स के पूर्ववर्ती समाजवादी सेण्ट साइमन, चार्ल्स फोरियर और रॉबर्ट ओवेन को कल्पनामूलक समाजवादी कहा जाता है। जिनका विवरण इस प्रकार है

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.