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अधिकार क्या है।

 जानिए अधिकार भी

• घरेलू हिंसा की शिकार महिला को घर में रहने का पूरा अधिकार है। धारा 17-18 के कानून प्रक्रिया के अतिरिक्त उसका निष्कान नहीं किया जा सकता। 


• घरेलू हिंसा की शिकायत व्यक्ति के घरेलू संबंध में सहने वाली महिला के द्वारा अथवा उसके प्रतिनिधि द्वारा दर्ज कराई जा सकती है। पत्नी कहने माताएं बेटियां भी शिकायत दर्ज करवा सकती है।

● आईपीसी की धारा 354डी के अंतर्गत किसी महिला का पीछा करने बार-बार मना करने के बंद भी संपर्क करने  इलक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन जैसे ई-मेल इंटरनेट आदि के जरिए मॉनिटर करने वाले शख्स पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है 

• महिलाओं को प्रसूति लाभ का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 42 के तहत महिला यदि किसी सरकारी और गैर सरकारी संस्था, फैक्ट्री में जिसकी स्थापना स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948 के तहत हुई हो, में काम करती है तो उसे मेटरनिटी बेनिफिट मिलेंगे। जिसमें 12 हफों से छह माह तक की मैटरनिटी लीव मिलती है महिला गर्भावस्था या रि गर्भपात के चलते बीमार हो जाती है तो उसे अतिरिक्त एक महीने की छुट्टी मिलेगी। मैटर्सटी के दौरान महिला पर किसी तरह का आरोप लगाकर उसे नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।

• स्वीचन वह धन है जो महिला को शादी के वक्त उपहार के तौर पर मिलता है। इसके अति दोनों के इस्तेमाल के लिए साझा सामान दिए जाते हैं, वह भी इसी श्रेणी में आते हैं। यदि ससुराल ने महिला का स्त्रीवन अपने पास रख लिया है तो महिला इसके खिलाफ हंस की धारा 406

(अमानत में खयानत की भी शिकायत दर्ज करवा सकती है। वह यह बन अपने मुताबिक निवेश और खर्च कर सकती है। 

• अगर कोई महिला किसी केस में आरोपी है तो वह मुफ्त कानूनी मदद ले सकती है। मांग पर उसे सरकारी परवीन गित सकता है। इसमें महिला की आर्थिक स्थिति मायने नहीं रखती। पुलिस महिला की गिरफ्तारी के बाद कानूनी सहायता समिति से संपर्क करेगी और महिला की गिरफ्तारी के बारे में उन्हें सूचित करेगी यह समिति महिला को मुफ्त कानूनी सलाह देगी। 

• महिला की सहमति के बिना उसका गर्भवत नहीं करवाया जा सकता। कुछ खास परिस्थितियों में गर्भपात करवाया सकता है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ फोसी एक्ट के तहत अगर गर्भ के कारण महिला की जान को खतरा हो या फिर मानसिक और शारीरिक रूप से गंभीर परेशानी पैदा करने वाले हो या फिर गर्भ में पल रहा बच्चा विगतका शिकार होत कराया जा सकता है।

• डीवी एक्ट की धारा 12. इसके महिला मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत कर सकती है। महिला जहाँ रहती है या जहां उसके स घरेलू हिंसा हुई है या फिर जहा प्रतिवादी रहते हैं, वहां शिकायत की जा सकती है। इस दीनन अदालत महिला के उसी पर में रहने देने, खर्चा देने या फिर उसकी सुरक्षा का आदेश दे सकती है अगर अदालत महिला के पक्ष में आदेश पारित करती है और प्रतिवादी उस आदेश पालन नहीं करत है तो डीटी एक्ट 31 के तहत प्रतिवादी पर केस बनता है।

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