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संविधान की अनुसूचियां |Constitutional Schedules

 संविधान की अनुसूचियां |Constitutional Schedules


 भूमिका (INTRODUCTION)

भारत के संविधान में 12 अनुसूचियां हैं जिनमें भारत के राज्यों व संघीय क्षेत्रों की भूमि, विभिन्न अधिकारियों के वेतन व भत्ते, विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ/प्रतिज्ञान के फार्म; विभिन्न राज्यों व संघीय क्षेत्रों को राज्य सभा में प्रदान की गई सीटें: अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन व नियन्त्रण, कुछ राज्यों के जनजाति क्षेत्र, वह सूचियां जिसमें संघ व राज्यों के मध्य बांटी गई शक्तियां, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएं, विभिन्न अधिनियम या नियम जिन्हें न्यायालय द्वारा जांच से संरक्षण दिया गया है; वह अयोग्यताएं जिनके आधार पर किसी भी सांसद को दल-बदल के आरोप पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है। पंचायत व नगर पालिका को सौंपे गए कार्य, इत्यादि।

मूल संविधान में केवल आठ अनुसूचियां थीं। नवीं अनुसूची संविधान के प्रथम संशोधन द्वारा 1951 में जोड़ी गई। संविधान में दसवीं अनुसूची 35वें संशोधन द्वारा 1974 में जोड़ी गई। इस अनुसूची द्वारा सिक्किम को संघ-राज्य का दर्जा दिए जाने से सम्बंधित शर्तें थीं। परन्तु इस अनुसूची को 36वें संशोधन द्वारा सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के पश्चात वापिस ले लिया गया। 1985 में 52वें संशोधन द्वारा संविधान में एक नई 10वीं अनुसूची जोड़ी गई। इस अनुसूची में दल-बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य घोषितः करने का प्रावधान है।

संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची 1993 में 73वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई। इस अनुसूची में उन 29 विषयों का उल्लेख है जिन पर पंचायतों को पूर्ण प्रशासनिक नियन्त्रण है। संविधान में बारहवीं अनुसूची भी 1993 में 74वें संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़ी गई। इसमें 18 विषय हैं जिन पर नगर पालिकाओं को पूर्ण प्रशासनिक नियन्त्रण है।

 अनुसूचियों की सूची (LIST OF SCHEDULES )

प्रथम अनुसूची में भारत के 29 राज्यों तथा 7 संघीय क्षेत्रों के क्षेत्रों का विस्तार में उल्लेख किया गया है।

 दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, स्पीकर, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक इत्यादि के वेतन, भत्ते इत्यादि का उल्लेख करती है।

 तीसरी अनुसूची में विभिन्न सार्वजनिक पदों पर आसीन होने से पूर्व ली जानी वाली शपथ/प्रतिज्ञान का निर्धारित फार्म दिया गया है।

चौथी अनुसूची में विभिन्न राज्यों व संघीय क्षेत्रों को राज्यसभा में स्थानों का उल्लेख है।

पांचवी अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन व नियन्त्रण से सम्बंधित है। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिजोरम के जनजातीय क्षेत्र प्रशासन से सम्बंधित है।

सातवीं अनुसूची में केन्द्र व राज्यों के बीच विषयों के बंटवारे की तीन सुन दी गई हैं, जिन पर केन्द्र व राज्य सरकारों को अधिकार है। ये तीन सूचिया हैं- संघीय सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची।

 आठवीं अनुसूची में 22 क्षेत्रीय भाषाओं का उल्लेख है जिन्हें संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। मूल संविधान ने केवल 14 भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी। ये 14 भाषाएं थीं-असमिया बंगला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगू तथा उर्द 1967 में 21 वें संशोधन द्वारा सिंधी को 15वीं क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। 1992 में तीन और भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में जोड़ दिया गया और कुल क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या 18 हो गई जो तीन नई भाषाएं इस अनुसूची में जोड़ी गईं वे थीं कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली। 2004 के प्रारम्भ में 4 नई भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्वीकृति प्रदान की गई। अब कुल क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या 22 हो गई है। जो चार नई भाषाएं क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में जोड़ी गई हैं, वे हैं - बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली।

 नवीं अनुसूची में केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों के कुछ ऐसे अधिनियम तथा नियमों को सम्मिलित किया गया है जो भूमि सुधार तथा जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करने से सम्बंधित हैं। इन अधिनियमों तथा नियमों को न्यायपालिका के निरीक्षण से मुक्त कर दिया गया। जनवरी 2007 में सर्वोच्च न्यायालय एक महत्वपूर्ण निर्णय किया कि 24 अप्रैल, 1973 जोड़े गए उन सभी कानूनों को न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी जो संविधान पश्चात नवीं सूची में के अनुच्छेद 14, 19, 20 तथा 21 द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह अनुसूची संविधान में जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करने के उद्देश्य से जोड़ी गई थी परन्तु बाद में राजनीतिक नेताओं ने संसद में बहुमत का फायदा उठाते हुए अनेक प्रकार के कानून नवीं सूची में जोड़ दिए। इस समय नवीं अनुसूची में 286 कानून सम्मिलित हैं। उपरोक्त निर्णय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय 9वीं अनुसूची दुरुपयोग पर अंकुश लगा दिया है। 

दसवीं अनुसूची यह अनुसूची संविधान के 52वें संशोधन द्वारा 1985 में जोड़ी गई। इस अनुसूची में उन सब शर्तों का उल्लेख है जिनके आधार पर किसी भी सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।


ग्यारहवीं अनुसूची संविधान में 73वें संशोधन द्वारा 1993 में जोड़ी गई। इस अनुसूची में 29 विषयों की सूची दी गई है जिन पर पंचायतों को पूर्ण ग्रासनिक नियन्त्रण है।

बारहवीं अनुसूची संविधान में 74वें संशोधन द्वारा 1993 में जोड़ी गई। इस अनुसूची में 18 विषयों की एक सूची दी गई है, जिन पर नगरपालिका का पूर्ण प्रशासनिक नियन्त्रण है।



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