जयंती विशेष: भारत-पाक युद्ध की समाप्ति के गवाह बने लालबहादुर शास्त्री जी

 जयंती विशेष: भारत-पाक युद्ध की समाप्ति के गवाह बने लालबहादुर शास्त्री जी

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी में हुआ था। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी मौत हो गई थी। साल 1965 के युद्ध के बाद वह पाकिस्तान से वार्ता करने के लिए वहां गए हुए थे। बैठक में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने युद्ध समाप्त करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 

पत्नी ने जहर देकर मारने का लगाया था आरोप

11 जनवरी 1966 की ही रात को संदिग्ध परिस्थितियों में शास्त्री जी की मौत हो गई थी। उनकी मौत कैसे हुई, यह 49 साल के बाद आज भी राज है।
मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि शास्त्रीजी की मौत हार्ट अटैक के चलते हुई, लेकिन उनकी पत्नी का आरोप था कि उन्हें जहर दिया गया था।

प्रधानमंत्री कार्यालय में है केस की फाइल

कहा जाता है कि लालबहादुर शास्त्री की मौत के बाद उनका शरीर नीला पड़ गया था। इससे इस बात को तूल मिला कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं, बल्कि जहर से ही हुई थी। इसके बाद उनकी ड्यूटी पर तैनात बटलर को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिलने पर उसे रिहा कर दिया गया। हालांकि, बटलर के बयान पर भी कई सवाल खड़े हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय में वह केस फाइल मौजूद है, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।

मौत की जांच का नहीं है कोई रिकॉर्ड

शास्त्री जी की मौत की पहली जांच राज नारायण ने की थी, हालांकि इसमें कोई नतीजा नहीं निकला था। यह भी आरोप लगाए जाते हैं कि शास्त्री जी का पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ। इसके बाद साल 2009 में केंद्र सरकार ने कहा कि शास्त्री के निजी डॉक्टर आरएन चुग और रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जांच की थी। लेकिन, सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

निजी डॉक्टर की परिवार समेत हादसे में हो गई थी मौत

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री का कहना है, 'उनकी मां ने हवाई अड्डे पर शव देखा तभी उन्हें मौत पर शक हुआ था, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। रहस्यमय मौत पर शक और भी गहराता है क्योंकि राज नारायण कमीशन के सामने पेश होने से पहले निजी डॉ. चुग की परिवार समेत हादसे में मौत हो गई थी।'

नहीं मिल पाई थी प्राथमिक चिकित्सा

अनिल शास्त्री ने भारतीय दूतावास पर भी लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री जिस कमरे ठहरे हुए थे, वहां कोई बेल या टेलीफोन नहीं था। इससे उन्हें कोई प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं मिल पाई। भारतीय दूतावास ने लापरवाही की थी। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हो गई थी। 

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