भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम । Indian Space Research
इसरो (INDIAN SPACE RESEARCH ORGANIZATION ISRO)
अंतरिक्ष आयोग के अधीन कार्यरत इसरी भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य कार्य अंतरिक्ष अनुसंधान व विकास पर कार्य करना है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसका गठन 15 अगस्त 1969 को भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति का पुनर्गठन करके किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दो प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है। पहली भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (Indian National Satellite) है, जो कि संचार के लिए भू-स्थिर उपग्रहों पर आधारित है। भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT), एक बहुउद्देशीय प्रणाली है। इसका उपयोग घरेलू दूरसंचार, मौसम | की जानकारी तथा आंकड़ों के सम्प्रेषण, दूरदर्शन के सीधे राष्ट्रव्यापी प्रसारण तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों को देशभर में | प्रसारित करने में किया जाता है। यह अंतरिक्ष विभाग, दूरसंचार विभाग, भारतीय मौसम विभाग, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन का संयुक्त उद्यम है। इनसैट कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन की जिम्मेदारी अंतरिक्ष विभाग की है। इनसैट श्रृंखला के उपग्रहों की सहायता से ही दूरदर्शन के राष्ट्रीय नेटवर्क पर विश्वविद्यालय स्तरीय शैक्षणिक कार्यक्रमों की शुरूआत की गयी। दूसरी प्रणाली, भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (Indian Remote (Sensing Satellites) की श्रृंखला है, जिससे हम संसाधनों की निगरानी कर सकते हैं।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (POLAR SATELLITE LAUNCH VEHICLE-PSLV)
यह एक चार चरण वाला ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान है, जिसके प्रथम व | तृतीय चरण में ठोस प्रणोदक व द्वितीय व चतुर्थ चरण में द्रव प्रणोदकों का प्रयोग किया जाता है। यह 44 मी. ऊँचा व 283 टन वजन का | पूर्णत: स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर आधारित यान है। इससे आईआरएस श्रृंखला के 1200 किग्रा. तक के उपग्रह को 900 किमी. की ध्रुवीय | सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाता है।
भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GEOSYNCHRONOUS SATELLITE LAUNCH VEHICLE GSLV)
यह भू तुल्यकालिक प्रक्षेपण यान है, जिससे इन्सेट श्रृंखला के सभी उपग्रहों को पृथ्वी से 36,000 किमी. की ऊंचाई पर स्थित भू समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाता है। यह शक्तिशाली तीन चरण वाला प्रक्षेपण यान है, जो 49.1 मी. तथा 5401 टन का है, जिसके प्रक्षेपण के प्रथम चरण में ठोस, द्वितीय चरण में द्रव तथा तृतीय चरण में क्रायोजनिक इंजन का प्रयोग किया जाता है।
आदर्श प्रक्षेपण स्थल ( IDEAL LAUNCH SITE) | यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से सागर तट के समीप, कम आबादी वाले क्षेत्रों के निकट होना चाहिए तथा ईंधन की खपत कम हो इसके लिए | भूमध्य रेखा के समीप होना चाहिए, जिससे कि भू-समकालिक कक्षा में आसानी से उपग्रह का प्रवेश कराया जा सके। भारत के प्रक्षेपण केन्द्र भी श्रीहरिकोटा, बालासोर, इनव्हीलर द्वीप हैं।
क्रायोजेनिक तकनीक (CRYOGENIC TECHNIQUE) क्रायो यूनानी शब्द क्रायोस से बना है, जिसका अर्थ बर्फ जैसा ठण्डा है। क्रायोजेनिक तकनीक को तुषार-जनिक या प्राशीतनी या निम्नताका कहते हैं, जिसका तापमान 0° से 150° सेल्सियस होता है। क्रायोजेनिक तकनीक का मुख्य प्रयोग रॉकेटों में किया जाता है, जहां ईंधनों को क्रायोजेनिक तकनीक से तरल अवस्था में प्राप्त कर लिया जाता है। इसमें हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य (SOME OTHER IMPORTANT ELEMENT)
1. वायरलेस संचार के लिए ट्रांसपोंडर का उपयोग किया जाता हैं, जो कि संकेतों (signals) को ग्रहण करता है और अपनी प्रतिक्रिया (respond) देता है।
2. भारत का पहला एडुसैट (जीसैट-3) वर्ष 2004 में आरम्भ किया गया था।
3. केयू बैंडविड्थ (12-18 गीगा हर्टज) ज्यादातर टीवी और वीसैट से संबंधित उपग्रह प्रणाली के लिए प्रयोग किया जाता हैं।
4. Ka बैंडविड्थ (26.5-40 गीगा हर्टज) हाई डेफिनिशन (HD) |उपग्रह में प्रयोग किया जाता है।
5. D बैंड उन्नतम बैंडविड्थ है और बैंड सबसे कम बैंडविथ है।
6. भारत के पहले चंद्र अभियान चंद्रयान-1 को वर्ष 2003 में शुरू किया गया था।
7. मौसम उपग्रह (METSAT-1, II) को कल्पना चावला से नामित किया गया है-
कल्पना-1,
कल्पना-II, आदि।
टेलीविजन मानक (TELEVISION STANDARD) इससे संबंधित प्रश्न नेट परीक्षा में पूछा जा चुका है। इस शब्दावली का प्रयोग उपग्रह सम्प्रेषण में किया जाता है। यह तीन वीडियो फॉर्मेट सिग्नल्स एक-दूसरे के साथ असंगत (incompatible) हैं।
पूरे विश्व में टेलीविजन संकेतों के तीन मानक हैं— PAL, NTSC a SECAM
1. फेज अल्टरनेटिंग लाइन (Phase Alternating Line PAL): इस वीडियो संकेत मानक का प्रयोग पश्चिमी यूरोप,
चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में किया जाता है। यह एनालॉग संकेत के रूप में है तथा इसकी बैंडविड्थ ज्यादा होने के कारण तस्वीर की गुणवत्ता बेहतर होती है।
2. नेशनल टेलीविज़न सिस्टम समिति (National Television System Committee NTSC): यह मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिकी देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा, और जापान में प्रयोग किया जाता है। पहला रंगीन टीवी प्रसारण भी इनके माध्यम से हुआ था ।
3. अनुक्रमिक रंगीन एवेक मेमोयर (Sequential Coutur Avec Memoire—SECAM): इसका मुख्य रूप से प्रयोग फ्रांस एवं दूसरे पश्चिमी देशों में होता है। यह PAL जितनी बैंडविड्थ ही प्रयोग करता है, लेकिन रंगीन सूचना को क्रमिक रूप से संचारित करता है।
पत्र सूचना कार्यालय (PRESS INFORMATION BUREAU ) पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) इलेक्ट्रॉनिक व ऑनलाइन मीडिया को सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों संबंधी प्रयासों और उपलब्धियों की जानकारी संप्रेषित करने वाली, भारत सरकार की केन्द्रीय एजेन्सी है। यह मीडिया और सरकार के बीच माध्यम की भूमिका निभाती है और मीडिया में प्रतिबिंबित जनता की प्रतिक्रियाओं के बारे में सरकार को फीडबैक प्रदान करती है।
पत्र सूचना कार्यालय सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों व गतिविधियों के संबंध में सूचना संप्रेषण करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधनों का उपयोग करता है जिनमें प्रेस रिलीज, प्रेस नोट, विशेष लेख, बैकग्राउन्डर्स, फोटोग्राफ और ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटाबेस शामिल हैं। सूचनाओं का संप्रेषण अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू भाषाओं में किया जाता है। और बाद में इनका अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता है, जो देश के विभिन्न भागों में करीब 8400 समाचार-पत्रों और मीडिया संगठनों में पहुंचता है।
प्रसार भारती (PRASAR BHARTI) प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है ) भारत की एक सार्वजनिक प्रसारण संस्था है। इसमें मुख्य रूप से दूरदर्शन एवं आकाशवाणी शामिल हैं।
प्रसार भारती का गठन 23 नवंबर, 1997 को सरकारी प्रसारण संस्थाओं को स्वायत्तता देने के मुद्दे पर संसद में काफी बहस के बाद किया गया था। संसद ने इस संबंध में 1990 में एक अधिनियम पारित किया लेकिन इसे अंततः 15 सितंबर 1997 में लागू किया गया।
दूरदर्शन ( Television ) दूरदर्शन का प्रयोगात्मक प्रसारण दिल्ली में एक छोटे ट्रांसमीटर और अस्थाई स्टूडियो से सितंबर 1959 में प्रारम्भ हुआ, नियमित दैनिक रूप से संचरण 1965 में शुरू कर दिया गया। इस सेवा को 1972 में बम्बई के लिए बढ़ा दिया गया। वर्ष 1975 तक केवल सात शहरों को टीवी द्वारा कवर किया गया। वर्ष 1976 में टीवी को रेडियो से पृथक किया गया। राष्ट्रीय कार्यक्रम को 1982 में प्रारम्भ किया गया। उसके बाद से दूरदर्शन में लगातार प्रगति हुई है। दूरदर्शन पर 'स्वस्थ भारत' दुनिया में सबसे बड़ी स्वास्थ्य संचार पहल है।
फ्रीक्वेंसी मोड्यूलेशन एफ.एम.(Frequency Modulation-F.M.) 'एफ.एम.' अर्थात् 'फ्रीक्वेंसी मोड्यूलेशन'। एफ.एम. (F.M.) की ध्वनि अत्यंत स्पष्ट होती है तथा संगीत सुनने में भी आनंद आता है।
एम. लगभग 55 से 65 किमी. के क्षेत्र में ही सुना जा सकता है। एफए के कार्यक्रम सुनने के लिए अलग से एफ. एम. बैंड (E.M. वाले ट्राजिस्टर की आवश्यकता होती है। एफ.एम. की फ्रीक्वेंसी (Bequency) 88 से 108 मेगा हर्ट्स होती है।
एफ.एम. प्रसारण के कुछ प्रमुख लाभ हैं।
1. उच्च क्वालिटी का प्रसारण।
2 मनोरंजन प्रधान।
3. कम शक्ति के ट्रांसमीटर का प्रयोग।
4. कम इंटरफियरेंस।
3. अच्छा सिग्नल।
उल्लेखनीय है कि भारत में सन् 1993 में फ्रीक्वेंसी मोड्यूलेशन ((FM) रेडियो की शुरूआत हुई थी। यह प्रसारण आकाशवा के एक चैनल पर कई महानगरों से शुरू हुआ था। आज एफ.एम. की पहुँच का तर बहुत तेजी से हो रहा है। कई प्राइवेट निजी एफ.एम. स्टेशन चैनल चालू हो गए हैं। सन् 2001 में भारत में पहला निजी एफ.एम. चैनल है-रेडियो सिटी (स्टार समूह), रेडियो मिर्ची (टाइम्स समूह), रेड एफ. एम., बिग एफ.एम. ।
भारत में मुख्य समाचार अभिकरण MAIN NEWS AGENCIES IN INDIA)
नेट परीक्षा में इस विषय पर प्रश्न पहले भी पूछा जा चुका है।
ट्रस्ट ऑफ इंडिया पोटीआई Press Trust of India-PTI)
टीआईको वर्ष 1947 में स्थापित किया गया और इसने वर्ष 1949 में अपनी सेवाएँ शुरू कर दी। यह देश के समाचार पत्रों द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी कोआपरेटिव संस्था है, जिसका अधिदेश पाठकों को कुशल और निष्पक्ष समाचार प्रदान करना है।
मटेड न्यूज ऑफ इंडिया - यूएनआई (United News of India-UNI)
यूएनआई को वर्ष 1959 में स्थापित किया गया था और इसने 1961 में काम-काज शुरू कर दिया। इसने वर्ष 1982 में भारत में अपनी पहली समाचार एजेंसी पूर्ण हिन्दी तार सेवा यूनीवार्ता प्रारम्भ की। यूएनआई ने अपनी पहली उर्दू सेवा भी शुरू की यूएनआई रायटर्स, जो कि दुनिया में सूचना क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनियों में सम्मिलित है, से वैश्विक समाचार प्राप्त कर भारत में वितरण का कार्य शुरू किया।
भारतीय प्रेस परिषद- पीसीआई Press Council of India - PCI)
पेसीआई भारतीय संसद द्वारा अधिदिष्ट एक अर्ध-न्यायिक संस्था है।जिसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना एवं समाचार पत्र और न्यूज एजेंसीज के मानकों में निरन्तर सुधार करना है।