कमजोर बेरोजगारों के भविष्य को संवारने के लिए संकल्पबद्ध
- मनोज चन्द्र
सिविल सेवा व अन्य राज्य स्तरीय सेवाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से योगी सरकार द्वारा प्रदेश भर में इस वर्ग के युवाओं को इन परीक्षाओं के लिए मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश भर में विभिन्न स्थानों पर 7 केंद्र संचालित किए जा रहे है। पिछले 4 वर्षों में इन केंद्रों से लगभग 4 हजार अभ्यर्थी लाभान्वित हो चुके है। प्रदेश सरकार के मूलमंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास को चरितार्थ करते हुए अपने कार्यकाल के आरंभ से ही समाज के पिछड़े वर्गों के प्रति विशेष संवेदनशीलता का परिचय दिया है। उ.प्र. के पात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग के युवाओं तथा युवतियों को सिविल सेवा तथा अन्य राज्य स्तरीय सेवाओं में सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में प्रशिक्षण हेतु 07 परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनमें से दो प्रशिक्षण केंद्र लखनऊ में तथा 1-1 केंद्र इलाहाबाद वाराणसी, अलीगढ़, आगरा व हापुड़ में संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी केंद्री को मिलाकर एक समय में अधिकतम 1200 लोगों के प्रशिक्षण की क्षमता है। इस प्रकार वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक 1858.74 लाख रुपयों की लागत से कुल 3953 अभ्यर्थी इन केन्द्रों पर प्रशिक्षण का लाभ ले चुके है और सैकड़ों अभ्यर्थी विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय सेवाओं में सफल हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान जब कोरोना संक्रमण उच्च स्तर पर था उस समय भी सरकार ने बेरोजगारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया। इस दौरान सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को ऑनलाइन मौक इंटरव्यू की तैयारी कराई गई। जिसके फलस्वरूप 2020-21 में कुल 81 अभ्यर्थियों ने राज्य अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा तथा सहायक वन संरक्षक / क्षेत्रीय वन अधिकारी परीक्षा में सफलता अर्जित की।
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित की जा रही परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण की इस योजना की सफलता यह साबित करती है कि सरकार राजकीय सेवाओं में वंचित वर्गों के समावेशन के लिए कितनी प्रयत्नशील और प्रतिबद्ध है। निश्चित रूप से इस प्रकार की योजनाए चित वर्गों के बेरोजगारों के सपनों को साकार कर रही है तथा उनके परिवारों को विशेष सबल मिल रहा है।